16 Sanskar

Latest Sermons

Shrimad Bhagwat Katha

103:12

Latest Sermons

Shrimad Bhagwat Katha

103:12

The 16 Sanskars

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।

स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

महान कीर्ति वाले इन्द्र हमारा कल्याण करो, विश्व के ज्ञान स्वरूप पूषा देव हमारा कल्याण करो। जिसका हथियार अटूट है ऐसे गरुड़ भगवान के अधिपति भगवान विष्णु हमारा मंगल करो।

बृहस्पति देव हमारा मंगल करो। हमारे पाप कर्मों को शांत करें, हमें शांति प्रदान करें।

Samhitas

वेदों की चार संहिताएं हैं: ऋग्वेद संहिता, सामवेद संहिता, यजुर्वेद संहिता, अथर्ववेद संहिता. वेदों की संहिताएं, वेदों का मंत्र वाला हिस्सा होती हैं. ये वैदिक वाङ्मय का पहला हिस्सा है. इनमें देवताओं की यज्ञ के लिए स्तुति काव्य रूप में की गई है. वेदों की भाषा वैदिक संस्कृत है. वेदों में देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, औषधि, विज्ञान, भूगोल, धर्म, संगीत, रीति-रिवाज जैसे कई विषयों का ज्ञान वर्णित है|

Upanishads

उपनिषद् हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। इस ग्रंथ में ब्रह्म यानी ईश्वरीय सत्ता के स्वभाव और आत्मा के बीच अंतर्संबंध की दार्शनिक तथा ज्ञान-पूर्वक संपूर्ण व्याख्या की गई है। उपनिषद् को श्रुति ग्रंथ में शामिल किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि उपनिषद् ही सभी भारतीय दर्शनों की जड़ है। फिर चाहें वह वेदांत, सांख्य, जैन या फिर बौद्ध ही क्यों न हो। हालाँकि उपनिषद को समझ पाना आसान नहीं है। क्योंकि इसमें परमज्ञान, परमविद्या और इस लोक की परिधि से बाहर की बातें की गई हैं। इसमें इस संसार का गूढ़ ज्ञान निहित है

Sanskaras

प्राचीन काल में प्रत्येक कार्य संस्कार से आरम्भ होता था। उस समय संस्कारों की संख्या भी लगभग चालीस थी। जैसे-जैसे समय बदलता गया तथा व्यस्तता बढती गई तो कुछ संस्कार स्वत: विलुप्त हो गये। इस प्रकार समयानुसार संशोधित होकर संस्कारों की संख्या निर्धारित होती गई। गौतम स्मृति में चालीस प्रकार के संस्कारों का उल्लेख है। [3]महर्षि अंगिरा ने इनका अंतर्भाव पच्चीस संस्कारों में किया। व्यास स्मृति में सोलह संस्कारों का वर्णन हुआ है। हमारे धर्मशास्त्रों में भी मुख्य रूप से सोलह संस्कारों की व्याख्या की गई है|

संस्कार

संस्कार का मतलब है किसी को शुद्ध करके उपयुक्त बनाना. संस्कारों का मकसद व्यक्ति को उसके समुदाय का योग्य सदस्य बनाना और उसके शरीर, मन, और मस्तिष्क को पवित्र करना होता है.

image
गर्भाधान संस्कार
भारतीय संस्कृति में 16 संस्कारों में से पहला और सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। यह दंपत्ति के जीवन में स
Read More
image
पुंसवन संस्कार
पुंसवन संस्कार भारतीय संस्कृति में 16 संस्कारों में से दूसरा महत्वपूर्ण संस्कार है। यह संस्कार गर्भध
Read More
image
सीमंतोन्नयन संस्कार
सीमन्तोन्नयन को सीमन्तकरण अथवा सीमन्त संस्कार भी कहते हैं। सीमन्तोन्नयन का अभिप्राय है सौभाग्य संपन्
Read More
image
जातकर्म संस्कार
जातकर्म संस्कार भारतीय संस्कृति में नवजात शिशु के जन्म के बाद किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण संस्कार ह
Read More
image
नामकरण संस्कार
नामकरण संस्कार भारतीय संस्कृति में नवजात शिशु के लिए किया जाने वाला चौथा महत्वपूर्ण संस्कार है। इस स
Read More
image
निष्क्रमण संस्कार
निष्क्रमण संस्कार भारतीय संस्कृति के 16 संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह संस्कार शिशु क
Read More
image
अन्नप्राशन संस्कार
अन्नप्राशन संस्कार भारतीय संस्कृति में शिशु के लिए किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह संस्क
Read More
image
चूड़ाकरण संस्कार
चूड़ाकरण संस्कार भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जो शिशु के जीवन के पहले वर्ष में किया
Read More
image
विद्यारंभ संस्कार
विद्यारंभ संस्कार भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जिसे बच्चे के शिक्षा जीवन की शुरुआत
Read More
image
कर्णछेदन संस्कार
कर्णछेदन संस्कार भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जो शिशु के कान छेदन (ईयर पियर्सिंग) क
Read More
image
उपनयन संस्कार
उपनयन संस्कार भारतीय संस्कृति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्कार है, जो एक व्यक्ति को आधिकारिक रूप से
Read More
image
समावर्तन संस्कार
समावर्तन संस्कार भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जो विशेष रूप से ब्राह्मण और गुरु-शिष्
Read More
image
विवाह संस्कार
विवाह संस्कार हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र संस्कारों में से एक है। यह संस्कार दो व्यक्ति
Read More
image
वनप्रस्थ संस्कार
वनप्रस्थ संस्कार हिंदू धर्म में जीवन के चार आश्रमों (संपूर्ण जीवन के चार चरणों) में से तीसरा चरण है।
Read More
image
संन्यास संस्कार
ंन्यास संस्कार हिंदू धर्म में जीवन के चार आश्रमों में से चौथा और अंतिम आश्रम है, जिसे "संन्यास आश्रम
Read More
image
अंत्येष्टि संस्कार
अंत्येष्टि संस्कार हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है
Read More

त्योहार

विश्व में भारत ही ऐसा देश है जहां पूरे वर्ष पर्व एवं त्योहार मनाए जाते हैं। भारत में त्योहार अपने साथ उत्साह और खुशी की लहर लेकर आते हैं। भारत में लगभग हर छोटे-बड़े अवसर पर जश्न मनाया जाता है। चाहे वसंत का आगमन हो, या फसलों की कटाई या कुछ और, आपके पास जश्न मनाने के कारणों और मौसमों की कभी कमी नहीं होगी। राज्यों के हिसाब से भी विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं।

image
बसंत पंचमी
त पंचमी भी कहा जाता है, हिंदू त्योहार है जो वसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है और देवी सरस्वती को समर
Read More
image
बुद्ध पूर्णिमा
और हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो सिद्धार्थ गौतम के जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि), और परिनिर
Read More
image
दीवाली
ि दीवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसकी उत्प
Read More
image
दुर्गा पूजा
  • अच्छाई की बुराई पर विजय: दुर्गा पूजा देवी दुर्गा की राक्षस राजा महिषासुर पर विजय का उत्सव
    Read More
  • image
    दशहरा
  • भगवान राम की विजय: दशहरा भगवान राम की रावण, लंका के राक्षस राजा, पर विजय का स्मरण करता है
    Read More
  • image
    गणेश चतुर्थी
  • भगवान गणेश का जन्म उत्सव: गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्म का उत्सव है, जिन्हें विघ्नहर्ता
    Read More
  • image
    होली
  • अच्छाई की बुराई पर विजय: होली भक्ति और धार्मिकता की अहंकार और बुराई पर विजय का प्रतीक है।
    Read More
  • image
    जगन्नाथ रथ यात्रा
  • भगवान जगन्नाथ और उनकी दिव्य यात्रा: रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्
    Read More
  • image
    जन्माष्टमी
  • भगवान कृष्ण का जन्म: कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि (अगस्त–सितंबर) में देवकी और
    Read More
  • image
    लोहड़ी
  • सूर्य और अग्नि का सम्मान: लोहड़ी, शीतकालीन संक्रांति का प्रतीक है और यह लंबी रातों के अंत
    Read More
  • image
    महाशिवरात्रि
  • शिव और पार्वती का मिलन: महाशिवरात्रि को भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य मिलन के रूप म
    Read More
  • image
    ओणम
  • राजा महाबली की कथा: ओणम राजा महाबली के घर लौटने का उत्सव है, जिनका शासन समानता, समृद्धि औ
    Read More
  • image
    पोंगल
  • प्रकृति के प्रति आभार: पोंगल सूर्य (सूर्य देवता), इंद्र (वर्षा देवता), और अन्य देवताओं को
    Read More
  • image
    रक्षाबंधन
    नाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है, जो भाई-बहन के विशेष रिश्ते को सम्मानित करता है। इस पर्व को रक
    Read More

    Latest Events

    भगवदगीता के लोकप्रिय श्लोक

    See All
    • ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते। सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥
    • अर्थ: विषयों वस्तुओं के बारे में सोचते रहने से मनुष्य को उनसे आसक्ति हो जाती है। इससे उनमें इच्छा पैदा होती है और इच्छा में विघ्न आने से क्रोध की उत्पत्ति होती है।
    • क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:। स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥

    • अर्थ: क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है। मति मारी जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद का अपना ही नाश कर बैठता है।
    • श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:। ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
    • अर्थ: श्रद्धा रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाले मनुष्य, साधनपारायण हो अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त करते हैं, फिर ज्ञान मिल जाने पर जल्द ही परम-शान्ति को प्राप्त होते हैं

    प्राचीन भारतीय शास्त्र और उपनिषद

    भारतीय संस्कृति और दर्शन का आधार प्राचीन शास्त्र और उपनिषद हैं। ये ग्रंथ ज्ञान, आध्यात्मिकता और जीवन के मूलभूत सिद्धांतों का भंडार हैं। इनकी रचना हजारों वर्षों पहले हुई थी, लेकिन इनका महत्व और प्रासंगिकता आज भी बरकरार है।

    शास्त्रों और उपनिषदों का महत्व वेदों का आधार: भारतीय शास्त्र चार वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) पर आधारित हैं। उपनिषद वेदों का अंतिम भाग (वेदांत) हैं और इनमें आत्मा, ब्रह्म, मोक्ष, और आध्यात्मिकता पर गहन चिंतन मिलता है। उपनिषदों की विशेषता: उपनिषद शब्द का अर्थ है "समीप बैठकर सुनना"। ये गुरु और शिष्य के बीच संवाद के रूप में रचे गए हैं। इन ग्रंथों में आत्मा (जीवात्मा) और परमात्मा (ब्रह्म) के अद्वैत (एकत्व) का वर्णन किया गया है। प्रमुख उपनिषद: ईशोपनिषद: ब्रह्मांड के हर कण में ईश्वर का निवास है। कठोपनिषद: मृत्यु के रहस्य और आत्मा की अमरता पर आधारित। माण्डूक्य उपनिषद: 'ॐ' के महत्व और आत्मज्ञान का वर्णन। छांदोग्य उपनिषद: सृष्टि, जीवन और ब्रह्म की व्याख्या। बृहदारण्यक उपनिषद: आत्मा और ब्रह्म की सबसे गहन चर्चा। Read More

    img

    इतिहास


    वैदिक साहित्य में 'संस्कार' शब्द का प्रयोग नहीं मिलता। संस्कारों का विवेचन मुख्य रुप से गृह्यसूत्रों में ही मिलता है, किन्तु इनमें भी संस्कार शब्द का प्रयोग यज्ञ सामग्री के पवित्रीकरण के अर्थ में किया गया है। वैखानस स्मृति सूत्र ( 200 से 500 ई.) में सबसे पहले शरीर संबंधी संस्कारों और यज्ञों में स्पष्ट अन्तर मिलता है।

    ॠग्वेद में संस्कारों का उल्लेख नहीं है, किन्तु इसके कुछ सूक्तों में विवाह, गर्भाधान और अंत्येष्टि से संबंधित कुछ धार्मिक कृत्यों का वर्णन मिलता है। यजुर्वेद में केवल श्रौत यज्ञों का उल्लेख है, इसलिए इस ग्रंथ के संस्कारों की विशेष जानकारी नहीं मिलती। अथर्ववेद में विवाह, अंत्येष्टि और गर्भाधान संस्कारों का पहले से अधिक विस्तृत वर्णन मिलता है। गोपथ ब्राह्मण और शतपथ ब्राह्मण में उपनयन, गोदान संस्कारों के धार्मिक कृत्यों का उल्लेख मिलता है। तैत्तिरीय उपनिषद में शिक्षा समाप्ति पर आचार्य की दीक्षान्त शिक्षा मिलती है।.

    Read More