श्री कृष्ण

प्रेम, करुणा और ज्ञान के अवतार

श्री कृष्ण

प्रेम, करुणा और ज्ञान के अवतार

श्री कृष्ण
  • रूप: मुरलीधर, मोरपंख मुकुट
  • लीला: व्रजलीलाएँ, गोवर्धन-धारण
  • उपदेश: भगवद्गीता—कर्म, भक्ति, ज्ञान
  • उत्सव: जन्माष्टमी

कृष्ण लीला और योगेश्वर—दोनों रूपों में पूज्य हैं। व्रज की बाल-लीलाएँ, रास-सौंदर्य और गोवर्धन-धारण से लेकर कुरुक्षेत्र में अर्जुन को दिए गीता-उपदेश तक—कृष्ण जीवन के संघर्ष में धर्म, साहस और समत्व सिखाते हैं।

गीता के निष्कर्ष—निष्काम कर्म, भक्तियोग, ज्ञानयोग—मानव जीवन के लिए सार्वकालिक मार्गदर्शिका हैं। कृष्ण की बांसुरी प्रेम, करुणा और माधुर्य का प्रतीक है; मोरपंख सौंदर्य और सहजता का संकेत देता है।