जातकर्म संस्कार भारतीय संस्कृति में नवजात शिशु के जन्म के बाद किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह संस्कार शिशु के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए शुभ शुरुआत का प्रतीक है। यह संस्कार 16 संस्कारों में तीसरा है और जन्म के तुरंत बाद या कुछ दिनों के भीतर किया जाता है।
जातकर्म संस्कार का उद्देश्य
- नवजात शिशु का स्वागत और शुद्धि। शिशु के जन्म के बाद उसे समाज में एक नया सदस्य स्वीकार किया जाता है।
- स्वस्थ जीवन की प्रार्थना। शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए प्रार्थना की जाती है।
- सुसंस्कारों का प्रारंभ। जन्म से ही शिशु के भीतर आध्यात्मिक और नैतिक संस्कार डालने की प्रक्रिया।