निष्क्रमण संस्कार भारतीय संस्कृति के 16 संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह संस्कार शिशु के जीवन में पहली बार घर से बाहर निकलने और प्राकृतिक वातावरण का अनुभव कराने के लिए किया जाता है। यह संस्कार शिशु की शारीरिक और मानसिक वृद्धि को बढ़ावा देने के साथ-साथ शुभता और सुरक्षा की कामना के लिए किया जाता है।
निष्क्रमण संस्कार का उद्देश्य
- प्राकृतिक वातावरण का परिचय देना शिशु को पहली बार सूर्य, चंद्रमा, हवा और अन्य प्राकृतिक तत्वों के संपर्क में लाना।
- शिशु के स्वास्थ्य और विकास की कामना सूर्य और चंद्रमा की ऊर्जा से शिशु के स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
- धार्मिक और सामाजिक जुड़ाव शिशु को परिवार और समाज के साथ जोड़ने का प्रतीकात्मक तरीका।
- संस्कार का समय यह संस्कार शिशु के जन्म के 4 से 6 महीने के बीच, उस समय किया जाता है जब वह थोड़ी शारीरिक ताकत और सहनशीलता प्राप्त कर लेता है। ज्योतिषीय मुहूर्त के अनुसार शुभ दिन का चयन किया जाता है।