भगवान विष्णु का कार्य सृष्टि-संतुलन और संरक्षण है। वे करुणा, शांति और धर्म-स्थापन के प्रतीक हैं। उनके चार हाथ शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण करते हैं—जो सृष्टि-रक्षा, चैतन्य, सामर्थ्य और पवित्रता का द्योतक हैं।
धर्म की अवनति होने पर वे अवतार धारण कर अधर्म का विनाश और सत्प्रतिष्ठा करते हैं—मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और भविष्य का कल्कि अवतार इसी परंपरा के उदाहरण हैं। वैष्णव धर्म इसी समर्पण और भक्ति का विस्तार है।