सीमंतोन्नयन संस्कार

सीमंतोन्नयन संस्कार

सीमंतोन्नयन संस्कार

सीमंतोन्नयन संस्कार

सीमन्तोन्नयन को सीमन्तकरण अथवा सीमन्त संस्कार भी कहते हैं। सीमन्तोन्नयन का अभिप्राय है सौभाग्य संपन्न होना। गर्भपात रोकने के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु एवं उसकी माता की रक्षा करना भी इस संस्कार का मुख्य उद्देश्य है। इस संस्कार के माध्यम से गर्भिणी स्त्री का मन प्रसन्न रखने के लिये पति गर्भवती की मांग भरता हैं।

  • गर्भावस्था के दौरान महिला को मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करना।
  • गर्भस्थ शिशु का उत्तम विकास:- मंत्रों और आशीर्वाद से शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करना।
  • माता और शिशु के स्वास्थ्य की रक्षा:- महिला को पौष्टिक भोजन और औषधियां देकर उनकी सेहत सुनिश्चित करना।

संस्कार की प्रक्रिया

  • पूजा और हवन:- परिवार के सदस्य और पुरोहित द्वारा देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। मंत्रोच्चार के साथ हवन किया जाता है और माता व शिशु की रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है।
  • केश-सज्जा (सीमंत):- गर्भवती महिला के बालों की मांग (सिंदूर रेखा) को सजा कर देवी का आह्वान किया जाता है। यह प्रक्रिया शांति और शुभता का प्रतीक है।
  • परिवार और दोस्तों का सहयोग:- गर्भवती महिला को उपहार, मिठाई और शुभकामनाएं दी जाती हैं। महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं और गर्भवती महिला को प्रसन्न करती हैं।
  • पौष्टिक भोजन:- गर्भवती महिला को विशेष पौष्टिक आहार दिया जाता है, जिससे उसका और शिशु का स्वास्थ्य बेहतर हो।

आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

  • आध्यात्मिक दृष्टि से: यह संस्कार गर्भवती महिला और शिशु को ईश्वर के प्रति समर्पण और आशीर्वाद का अनुभव कराता है।
  • सामाजिक दृष्टि से: परिवार और समाज द्वारा गर्भवती महिला को समर्थन और खुशहाल वातावरण प्रदान करने का माध्यम है।
  • संस्कार का प्रतीकात्मक अर्थ

  • "सीमंतोन्नयन" का शाब्दिक अर्थ है मांग का सजाना, जो सुख, शांति और सौभाग्य का प्रतीक है। यह संस्कार मां और बच्चे दोनों के जीवन में खुशियों और सकारात्मकता का प्रवेश सुनिश्चित करता है।