पुंसवन संस्कार भारतीय संस्कृति में 16 संस्कारों में से दूसरा महत्वपूर्ण संस्कार है। यह संस्कार गर्भधारण के बाद शिशु के स्वस्थ और गुणवान विकास की प्रार्थना के लिए किया जाता है।
पुंसवन संस्कार का उद्देश्य
- गर्भ में पल रहे शिशु की रक्षा करना।
- माता और शिशु के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करना।
- शिशु में उत्तम गुणों का विकास सुनिश्चित करना।
कब किया जाता है?
पुंसवन संस्कार गर्भधारण के तीसरे या चौथे महीने में किया जाता है, जब शिशु का लिंग निर्धारण और अंगों का विकास शुरू होता है।