हिंदू धर्म विश्व का सबसे पुराना और विविधतापूर्ण धर्मों में से एक है, जिसकी जड़ें लगभग 4,000 साल पुरानी हैं। यह धर्म मुख्यतः भारत और नेपाल में प्रचलित है, लेकिन इसके अनुयायी दुनिया भर में हैं। हिंदू धर्म का कोई एक संस्थापक, केंद्रीय धार्मिक प्राधिकरण, या सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत सिद्धांत नहीं है; बल्कि यह व्यापक विश्वासों, प्रथाओं और अनुष्ठानों का एक समृद्ध संगम है।
हिंदू धर्म के मुख्य सिद्धांत
1) ब्रह्म और आत्मा
- ब्रह्म: सर्वोच्च, अनंत और सर्वव्यापी वास्तविकता—निराकार, अज्ञेय और अपरिवर्तनीय—जिससे समस्त सृष्टि उत्पन्न होती है।
- आत्मा: प्रत्येक व्यक्ति के भीतर विद्यमान दिव्य तत्व; अंतिम उद्देश्य आत्मज्ञान द्वारा यह बोध कि आत्मा ब्रह्म से भिन्न नहीं है—यही मोक्ष का मार्ग है।
2) कर्म और पुनर्जन्म (संसार)
- कर्म: हर क्रिया का फल अनिवार्य है; शुभ कर्म शुभ फल, अशुभ कर्म अशुभ फल देते हैं।
- संसार: जन्म–मरण–पुनर्जन्म का चक्र; इससे मुक्ति के लिए मोक्ष की प्राप्ति आवश्यक है।
3) धर्म और चार पुरुषार्थ
- धर्म: कर्तव्य, सत्य और सदाचार का आचरण—जीवन के हर पक्ष में सही मार्ग।
- धर्म: नैतिकता और कर्तव्य का पालन
- अर्थ: भौतिक समृद्धि और सफलता
- काम: इन्द्रिय एवं मानसिक सुख
- मोक्ष: संसार के चक्र से मुक्ति और ब्रह्म में एकत्व
4) मोक्ष (मुक्ति)
मोक्ष हिंदू धर्म का परम पुरुषार्थ है—संसार के चक्र से मुक्ति और आत्मा–ब्रह्म की एकात्मकता। इसकी प्राप्ति ज्ञान, ध्यान, भक्ति और अनुशासित साधना से होती है।
हिंदू धर्म के देवी–देवता
- त्रिमूर्ति — ब्रह्मा (सृष्टि), विष्णु (पालन), शिव (संहार/पुनर्सृजन)।
- लक्ष्मी: धन–समृद्धि
- सरस्वती: ज्ञान–संगीत–कला
- दुर्गा/काली: शक्ति और अधर्म का विनाश
- गणेश: बुद्धि और विघ्नहर्ता
- हनुमान: शक्ति, भक्ति और साहस का प्रतीक
विष्णु के अवतार—विशेषतः राम और कृष्ण—आदर्श जीवन, धर्म, कर्म और भक्ति के मार्गदर्शक हैं (गीता की शिक्षाएँ विशेष महत्वपूर्ण हैं)।
हिंदू धर्म के शास्त्र
- वेद: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद—मंत्र, प्रार्थना और यज्ञ-विधि का संकलन।
- उपनिषद: वेदान्त—ब्रह्म और आत्मा के सिद्धांतों की गूढ़ चर्चा; ध्यान–साधना–आत्मज्ञान पर केन्द्रित।
- भगवद् गीता: कृष्ण–अर्जुन संवाद; जीवन के उद्देश्य, कर्म, भक्ति और मोक्ष का सार।
- रामायण और महाभारत: आदर्श जीवन, धर्म, नीति और समाज की गहन विवेचना करने वाले महाकाव्य।
अनुष्ठान और प्रथाएँ
- पूजा: घर और मंदिर में उपासना—फूल, दीप, फल, नैवेद्य अर्पण।
- योग: हठयोग, भक्ति योग, ज्ञान योग, कर्म योग—शरीर–मन–आत्मा का समन्वय।
- ध्यान एवं साधना: आत्मशांति और ब्रह्म-साक्षात्कार के लिए।
- त्योहार: दीवाली, होली, नवरात्रि, गणेश चतुर्थी आदि।
समाज में जाति व्यवस्था (ऐतिहासिक संदर्भ)
- वर्ण व्यवस्था: ब्राह्मण (विद्या/आचार्य), क्षत्रिय (शासन/रक्षा), वैश्य (व्यापार/कृषि), शूद्र (सेवा/श्रम)।
इतिहास में दलित समुदाय को भेदभाव का सामना करना पड़ा—आधुनिक भारत में समानता, गरिमा और अवसरों पर बल देते हुए विधिक एवं सामाजिक सुधार हुए हैं।
निष्कर्ष
हिंदू धर्म अत्यंत विस्तृत, विविध और गहन परंपरा है, जो जीवन, ब्रह्म और आत्मा के संबंध को समझने का मार्ग प्रदान करती है। इसके सिद्धांतों, शास्त्रों, अनुष्ठानों और दर्शन ने भारत ही नहीं, विश्वभर में करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है—यह केवल आस्था नहीं, जीवन का एक समन्वित मार्ग है।