संस्कार की प्रक्रिया
- शुद्धिकरण पति-पत्नी दोनों स्नान करके पवित्र होते हैं। घर और यज्ञ स्थल को शुद्ध किया जाता है।
- पूजा और हवन दंपत्ति वेदों के मंत्रोच्चार के साथ अग्नि के समक्ष हवन करते हैं। देवताओं से प्रार्थना की जाती है कि गर्भ में उत्तम गुणों वाली संतान का जन्म हो।
- संतान प्राप्ति की प्रार्थना पति-पत्नी मिलकर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनकी संतान धर्मनिष्ठ, तेजस्वी और गुणवान हो।
गर्भाधान संस्कार का समय
- यह संस्कार संतानों की योजना के लिए किया जाता है, विशेषकर विवाह के बाद दंपत्ति के गृहस्थ जीवन की शुरुआत में।
- शास्त्रों के अनुसार, इसे विशेष रूप से शुभ मुहूर्त में किया जाता है।
आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
- आध्यात्मिक दृष्टि से: गर्भाधान संस्कार यह सुनिश्चित करता है कि संतान जन्म से ही उच्च नैतिक और आध्यात्मिक संस्कारों से संपन्न हो।
- सामाजिक दृष्टि से: यह समाज में जिम्मेदार और आदर्श नागरिकों का निर्माण करने की प्रक्रिया का पहला कदम है।
गर्भाधान संस्कार यह संदेश देता है कि संतान का जन्म केवल जैविक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक महान सामाजिक और आध्यात्मिक कर्तव्य है।